शेफाली मेंदीरत्ता
सहायक प्राध्यापक
समाजशास्त्र
प्रत्येक वर्ष 31 मई को WHO द्वारा विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता। लगभग विश्व के सभी देशों में इस दिन विभिन्न कार्यक्रम, योजनाएँ आदि आयोजित की जाती हैं। किन्तु विडम्बना यह हैं कि यह भी मात्र दिखावे के रूप में ही रह गया हैं। क्योंकि जो लोग इस तरह के व्यसनों के आदी हैं वे इन सबसे कोई शिक्षा ग्रहण नहीं करते हैं। उनको पता होने के बावजूद कि तम्बाकू का सेवन स्वास्थय के लिए हानिकारक हैं और यह कैंसर का रूप लेकर जानलेवा भी सिद्ध हो सकता हैं, वे फिर भी इसका सेवन करते रहते हैं। इसका सेवन करने वालों को यदि समझाने का प्रयास किया भी जाता हैं तो वे समझने वाले को ही बुरा भला कहने लगते हैं। उनके अनुसार तो किसी भी प्रकार का नशा करना एक उच्च जीवन शैली का अभिन्न अंग हैं और जो लोग नशा नहीं करते हैं वह तो अपना जीवन यूँ ही बर्बाद कर रहे हैं।
ऐसे व्यक्ति न केवल स्वयं की शारीरिक, आर्थिक, मानसिक हानि करते हैं बल्कि दूसरों के स्वास्थय से भी खिलवाड़ करते हैं। जब व्यक्ति नशे का आदी हो जाता हैं तो धीरे धीरे उसके सोचने, समझने व कार्य करने की क्षमताओं का हांस होने लगता हैं। कई बार उसे नौकरी से भी हाथ धोना पड़ जाता हैं। इसके साथ ही कई प्रकार की बीमारियाँ उसे घेर लेती हैं जिनका इलाज करवाने में उसकी सारी जमा पूँजी भी खर्च हो जाती हैं। उसके परिवार के सदस्य भी इन सबके कारण मानसिक तनाव से गुजरते हैं और कई बार तो बच्चे भी बड़ों को देख कर इस प्रकार के व्यसनों के आदी हो जाते हैं।
तो आइये आज हम विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर सब मिलकर यह प्रण करें कि “न तो हम स्वयं तम्बाकू आदि व्यसनों का शिकार होंगे और न ही किसी दूसरे को होने देंगे और यदि कोई इससे बाहर निकलना चाहता है तो उसमें उसका पूरा साथ देंगे।“