राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के तहत सीखने के लिए सर्वोत्तम वातावरण और छात्रों के सहयोग पर बल दिया गया है। जिसमें पाठ्यक्रम, आकर्षक शिक्षण, निरंतर रचनात्मक मूल्यांकन और छात्रों का सहयोग आवश्यक है।
रचनात्मक को सुनिश्चित करने के लिए संस्थानों और संगठनों को पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि और आंकलन आदि स्वायत्ता देनी होगी।
सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित छात्रों को उच्च शिक्षा तक सफलता पूर्वक पहुंचने के लिए विश्वविद्यालय और कॉलेज द्वारा उच्चतर गुणवत्ता युक्त सहायता केंद्र खोलने की आवश्यकता है।
ओडीएल और ऑनलाइन शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण उच्चतर शिक्षा का एक प्राकृतिक मार्ग प्रदान करता है। इसकी पूरी क्षमता का लाभ लेने के लिए ओडीएल को CV विस्तार की दिशा में ठोस, साक्ष्य आधारित प्रयासों के माध्यम से नवीनीकृत किया जाएगा, साथ ही इसके लिए निर्धारित स्पष्ट मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
विभिन्न पहलों से भारत में पढ़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या भी बढ़ेगी और यह भारत में रह रहे उन छात्रों को ऐसे और अवसर दिलाएगी जो विदेश के संस्थानों में शोध करने, क्रेडिट स्थानांतरित करने या इसके बाहर शोध करने की इच्छा रखते है।
भारत को उच्चतर शिक्षा प्रदान करने वाले वैश्विक अध्ययन के गंतव्य के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे इसे विश्व गुरु के रूप में अपनी भूमिका को बहाल करने में मदद मिलेगी ।
छात्र, शिक्षा प्रणाली में प्रमुख हितधारक हैं। उच्चतर गुणवत्तायुक्त शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं के लिए जीवंत कैंपस आवश्यक है। इस दिशा में छात्रों को खेल, संस्कृति, कला क्लब, पर्यावरण क्लब, गतिविधि क्लब, सामुदायिक सेवा परियोजना आदि में शामिल होने के लिए भरपूर अवसर दिए जाएंगे।
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अन्य छात्रों की योग्यता को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी । निजी उच्चतर शिक्षण संस्थानों को अपने छात्रों को महत्वपूर्ण संख्या में फ्रीशिप और छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ।
डॉ.सुधा सक्सेना,
सहायक प्राध्यापक,
राजनीति विज्ञान।
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