साक्षरता एवं शिक्षा के मौलिक अधिकार का व्यक्ति, समाज व् देश की तरक्की में योगदान

साक्षरता एवं शिक्षा के मौलिक अधिकार का व्यक्ति, समाज व् देश की तरक्की में योगदान

सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान किये गए हैं, जिसमे एक महत्वपूर्ण है साक्षरता प्राप्त करना शिक्षा प्राप्त करना एवं अपने लिए जीविका के अवसर तैयार करना ।

यह हमारी नयी शिक्षा नीति का सबसे मुख्य भाग कहा जा सकता है क्योंकि यह सबके लिए ज्ञान के द्वार खोलकर समाज में अपने को स्थापित करने की राह दिखाता है ।

साथ ही साथ यहाँ पर जीविकोपार्जन को भी परिलक्षित किया गया है जिससे नागरिकों में आत्मसम्मान का भाव बढे व वे समाज और राष्ट्र की तरक्की में अपना योगदान दे सके।

हम समझेंगे तो पाएंगे की साक्षरता एवं बुनियादी शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति को ना सिर्फ निजी तौर पर आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करती है बल्कि साथ ही साथ पेशेवर स्तर पर भी आगे बढ़ने में सहायता प्रदान करती है ।

यदि हम इन सबका गहन अध्ययन करेंगे तो पाएंगे की इन दोनों कार्यों से देश में किये जा रहे लगभग सभी तरह के विकास कार्यों एवं सामाजिक उत्थान के समस्त कार्यों को एक नयी दिशा प्राप्त होती है ।

यदि हम विश्व स्तर पर आंकड़ों को देखेंगे तो यह स्पष्ट  होता है कि किसी भी देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी एवं साक्षरता में सीधा सम्बंध होता है  

किसी भी देश के अधिक नागरिकों का साक्षर ना होना कई विषमताओं को जन्म देता है और इससे व्यक्तोगत, सामाजिक और आर्थिक नुक्सान होते हैं जिनका आकलन सीधे तौर पर नहीं किया जा सकता है 

डॉ. रीता शर्मा

सहायक प्राध्यापक

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