*।। 2 मई, विश्व हास्य दिवस।।*
"हँसता हुआ हर चेहरा
अच्छा लगता है,
उस चेहरे का नूर अलग
ही लगता है,
मायूसी में खुलकर लगा
एक मासूम ठहाका,
हौसलों को आसमानों में
उड़ाने लगता है।"
हँसता मुस्कराता हुआ हर चेहरा और मासूमियत से लगाए गए ठहाके हर कोई देखना और सुनना चाहता है, क्योंकि एक नन्हीं सी हँसी चेहरे का नूर ही बदल देती है और एक खुलकर लगाया गया ठहाका दुःखों का नाश कर, दिल में जीने की नई उमंग ले आता है। इसीलिए हास्य विनोद को सफलता की चाबी कहा जाता है।
*आचार्य रामचन्द्र शुक्ल* ने कहा है कि "हँसी भीतरी आनंद का बाहरी चिह्न है। जीवन की सबसे प्यारी और उत्तम-से-उत्तम वस्तु एक बार हँस लेना तथा शरीर को अच्छा रखने की अच्छी-से-अच्छी दवा एक बार खिलखिला उठना है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुला हँसों।"
वस्तुतः हँसी न जाने कितने ही कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनंद से हम हँसेंगे उतनी ही हमारी आयु बढ़ेगी। एक यूनानी विद्वान कहा है कि "सदा अपने कर्मों को झीखने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया, पर प्रसन्न मन डेमाक्रीटस 109 वर्ष तक जिया।"
याद रखिए, हँसी-खुशी का नाम ही जीवन है, जो रोते हैं, उनका जीवन व्यर्थ है।
यहाँ मैं एक बात विशेष रूप से कहना चाहूँगी कि आपकी हँसी अवसर के अनुकूल हो, कुटिलता से दूर स्वस्थ हो, और कृत्रिमता रहित आंनद से भरपूर होनी चाहिए, तब ही वह आपको और आपके स्वजन-परिजन, अपने-पराए और सृष्टि के सकल प्राणियों को सुकून पहुंचा पाएगी। सुअवसर की हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनंद युक्त हास्य एक ऐसा प्रबल इंजन है कि जिससे शोक और दुख की दीवारें खंड खंड हो ढह जाती हैं।
इसीलिए आज हास्य को एक सर्वमान्य उपचार थेरेपी के रूप संसार के समस्त राष्ट्रों ने स्वीकार कर लिया है और इस हेतु वे अपने अपने देश में उत्तम से उत्तम उपाय कर रहे हैं।
एक सुयोग्य वैद्य-डॉक्टर वही होता है जो अपने रोगी के कानों में हास्य और आनंद रूपी मंत्र फूँकता है, जिससे दवा दुगुनी चौगुनी होकर असर करती है।
आज कोरोना के इस भीषण और त्रासद काल में वही बच रहे हैं, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है और हमारे शरीर की इस प्रतिरक्षा प्रणाली को हास्य दृढ़ से दृढ़तर और फिर दृढतम बनाकर हमारी प्राण रक्षा करेगा, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है।
अतः आप सबसे आज *विश्व हास्य दिवस* पर यही अनुरोध है-
"होठों के घरोंदों में क्यों छिपी है-मुस्कान,
दिल खोलो और चेहरे पर सजा दो ये-मुस्कान,
रुठों को मनाने का अचूक नुस्खा है-मुस्कान।
बेरंग दुनिया में रंग भरती तूलिका है-मुस्कान।"
डॉ. मधु गुप्ता,
सह आचार्य,
हिंदी विभाग।
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