भारत संस्कृति का समृद्ध भंडार है जो हजारों वर्षों में विकसित हुआ है और यहां की कला साहित्यिक, कृतियों, प्रथाओं, परंपराओं एवं सांस्कृतिक धरोहर के स्थलों इत्यादि में परिलक्षित होता हुआ दिखता है । सभी स्कूली स्तरों पर संगीत, कला और हस्त कौशल पर बल देना, बहुभाषिकता को प्रोत्साहित करने के लिए त्रिभाषा फार्मूला का जल्द क्रियान्वयन, साथ ही जब संभव हो मातृभाषा, स्थानीय भाषा में शिक्षण तथा अधिक अनुभव- आधारित भाषा शिक्षण उत्कृष्ट स्थानीय कलाकारों, लेखकों, हस्त कलाकारों एवं अन्य विशेषज्ञों को स्थानीय विशेषज्ञता के विभिन्न विषयों में प्रशिक्षक के रूप में स्कूलों से जोड़ना, संगीत, कला, खेल में पारंपरिक भारतीय ज्ञान का समावेश करना, जब भी ऐसा करना प्रासंगिक हो, पाठ्य चर्चा में अधिक लचीलापन, विशेषकर माध्यमिक स्कूल में और उच्चतर शिक्षा में ताकि विद्यार्थी एक आदर्श संतुलन कायम रखते हुए अपने लिए कोर्स का चुनावकर सकें जिससे वे स्वयं के सृजनात्मक, कलात्मक, सांस्कृतिक एवं अकादमिक आयामों का विकास कर सके आदि शामिल है ।
डॉ. पूजा शर्मा
सहायक आचार्य
संगीत विभाग ।
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