17 अप्रैल-‘विश्व हीमोफीलिया दिवस’

17 अप्रैल-‘विश्व हीमोफीलिया दिवस’

"माना कि बहना ज़िंदगी है, तो ठहरना भी ज़रूरी है।
खून हो या पानी, वक़्त के साथ थमना भी ज़रूरी है।"
                          मधुवंदन

लोगों की जागरूकता से किसी बीमारी से लड़ा जा सकता है जैसे कि इन दिनों समूचा विश्व कोरोनावायरस की चपेट में आ चुका है।सरकारें बहुत प्रयास कर रहीं हैं पर कोरोना की इस वीभत्स भयंकर महामारी से लड़ने के लिए केवल सरकार के प्रयास काफी नहीं है, बल्कि इस बीमारी के प्रति लोगों की जागरूकता काफी महत्त्वपूर्ण है। ठीक इसी प्रकार आपको हीमोफिलिया का भी ध्यान रखना है।

प्रत्येक वर्ष 17 अप्रैल को ‘विश्व हीमोफीलिया दिवस’ मनाया जाता है। दरअसल यह दिवस दुनिया भर में हीमोफिलिया और विरासत में मिले अन्य रक्तस्राव विकारों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मान्यता प्राप्त है। 
वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया के संस्थापक फ्रैंक कैनबेल के जन्मदिन के उपलक्ष्य में 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत 1989 में की गई थी। 

हीमोफिलिया क्या है?
हीमोफिलिया खून के थक्के बनने की क्षमता को प्रभावित करने वाला एक आनुवंशिक रोग है। हिंदी में इसे पैतृक रक्तस्राव कहा जाता है। इसमें कोई चोट लगने पर शरीर से बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट जानलेवा साबित होती है, क्योंकि रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता और अधिक रक्तस्राव के कारण रोगी की मृत्यु हो सकती है।

कारण-
वस्तुतःहीमोफिलिया के तीन रूप बताए जाते हैं। यह ए, बी और सी जीन्स में दोष के कारण होता है। विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे 'क्लॉटिंग फैक्टर' कहा जाता है। इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह बीमारी रक्त में थ्राम्बोप्लास्टिन (Thromboplastin) नामक पदार्थ की कमी से होती है। थ्राम्बोप्लास्टिक में खून को शीघ्र थक्का कर देने की क्षमता होती है। खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है।

ध्यातव्य है कि इस रोग के अधिकांशतः पुरुष पीड़ित होते हैं और महिलाएँ इस बीमारी की वाहक होती हैं। विभिन्न शोधों से पता चलता है कि इस प्रकार की बीमारी घर के अन्य पुरुषों को भी होती है तथा यह बीमारी पीढ़ियों तक चलती रहती है।

लक्षण- 
शरीर में नीले नीले निशानों का बनना, नाक से खून का बहना, आंख के अंदर खून का निकलना,जोड़ों की सूजन, गंभीर सिरदर्द, लगातार उल्टी, गर्दन का दर्द, अत्यधिक नींद और चोट से लगातार खून बहना आदि।

बचाव के उपाय-
हीमोफिलिया लाइलाज़ बीमारी है। अतः आइए, आज आपको हीमोफिलिया दिवस के इस पुण्य पवन अवसर पर हीमोफीलिया के बचाव के उपाय बताते हैं- 
-1.हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि आपके दांत और मसूड़ों से खून निकलता है तो इसे नज़रअंदाज़ न करें, तुंरत डेंटिस्ट के पास जाएं।
-2.यदि हड्डियों में चोट लगती है तो पेन किलर लेने के पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य ले लें, क्योंकि इसकी वजह से भी आगे चलकर हीमोफीलिया हो सकता है।
3.ब्ल्ड इंफेक्शन के कारण होने वाली बीमारियों और उनके टीकाकरण के बारे में जानकारी प्राप्त करें साथ ही इसकी जांच भी करवाएं। हेपेटाइटिस ए और बी की वैक्सीन के बारे में डॉक्टर से सलाह लें।
4. ब्लड-थिनिंग दवा लेने से बचें। एस्पिरिन और इबुप्रोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाओं का सेवन बिना डॉक्टर के परामर्श के न करें।
5.अपनी डायट में विटामिन और मिनरल्स से भरपूर चीज़ें शामिल करें।
6.रोज़ाना एक्सरसाइज और योग करें।
7.रक्तदान जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए, जिससे समय पर इन रोगियों के लिए रक्त उपलब्ध रहे।

हम भारतीय खुशकिस्मत हैं कि भारत में इस रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या कम है, पर भविष्य न बढ़े और  विश्व समुदाय के हितार्थ हमको यह 'हीमोफिलिया जागरूकता अभियान' जारी रखना है।
इतिश्री,......
डॉ. मधु गुप्ता
सह-आचार्य, हिंदी विभागाध्यक्ष।

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