विश्व स्वास्थ्य दिवस'- 7 अप्रैल*

*'विश्व स्वास्थ्य दिवस'- 7 अप्रैल* 
आज जब कोरोना ने सारी दुनिया को घुटने पर ला खड़ा किया है, राष्ट्रों के सामने जीने की चुनौतियाँ मुँह बाए खड़ी हैं, इंसान खौफ के तले जी रहा है, चारों तरफ भय और संत्रास का माहौल है, ऐसे में आज *विश्व स्वास्थ्य दिवस* का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है।
 पिछले 71 वर्षों से हम लगातार 7 अप्रैल को *विश्व स्वास्थ्य दिवस* मनाते चले आ रहे हैं। वस्तुतः 7 अप्रैल 1948 को विश्व स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशिष्ट संस्था के रूप में 'विश्व स्वास्थ्य संगठन'  की स्थापना हुई। इसीलिए स्वास्थ्य की विकट चुनौतियों को समर्पित 7 अप्रैल को प्रत्येक वर्ष 'विश्व स्वास्थ्य दिवस' मनाया जाता है।आइए, जानते है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का इस दिवस को मनाए जाने के पीछे आखिर उद्देश्य क्या हैं-
1. दुनिया भर में स्वास्थ्य की देखभाल के लिए सुविधाओं के प्रति सभी देशों में समानता के साथ जागरूकता फैलाना 2.स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न प्रकार के मिथक, अफवाह और भ्रमों का निवारण करना
3.साथ ही विश्व की स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न समस्याओं पर विचार करके उनका समुचित  समाधान प्रस्तुत करना।
क्या आप जानते हैं कि सन 2021 में *'विश्व स्वास्थ्य दिवस* ' की थीम क्या रखी गई है?
नहीं। तो चलो हम बात देते हैं। ' *एक निष्पक्ष और स्वस्थ दुनिया का निर्माण'*यही आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। तमाम वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद दुनिया स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से जूझ रही है। एक के बाद एक और हर एक पहले वाली से ज्यादा खतरनाक जानलेवा बीमारियाँ महामारी का रुप धारण कर इंसान की परीक्षा लेने को उतारूँ हो रही हैं। कभी एडस ने डराया तो, कभी स्वाइन फ्लू ने नाक में दम की और अब कोरोना ने तो दुनिया के किसी कोने को छोड़ा ही नहीं, पर आत्मजयी मनुष्य का भी कोई जवाब नहीं, इस वैश्विक महामारी से बराबरी का मुकाबला किया जा रहा है और अपने जुझारू कालजयी मंसूबों को शिद्दत के साथ प्रस्तुत कर रहा है।
आज का यह ' *विश्व स्वास्थ्य दिवस'* मानव के इसी अविजित भाव और स्वभाव को जीवंत बनाए रखने का अपराजित प्रयास है।
आइए, शुद्ध बुद्ध प्रज्ञा के साथ शपथ लेते हैं कि हम सबसे पहले स्वयं को स्वस्थ रखेंगे, फिर अपने परिवार को स्वास्थ्य  समस्याओं के प्रति जागरूक रखेंगे, तो समाज स्वस्थ बनेगा और जब समाज स्वस्थ होगा, तो निरोगी राष्ट्रों का आर्विभाव होगा और विश्व की सकल मानवता के लिए सुस्वास्थ्य का विहंगम पढ़ प्रशस्त होगा ही होगा।

डॉ. मधु गुप्ता
सह-आचार्य, हिंदी विभागाध्यक्ष।

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