*!! 5 अप्रैल-राष्ट्रीय समुद्र दिवस !!*
"अपनी बेबसी को मैं किसी से कह नहीं सकता,
बिखरता हूँ मीलों तलक पर मैं बह नहीं सकेता
छिपा लेता हूँ हर नदी नाले को अपने अंतर में
समंदर हूँ, रुसवाई किसी की सह नहीं सकता।"
तो क्यों न हम एक कोशिश करें कि इस जलधि, पयोधि, रत्नों के आगार, चारों दिशाओं में व्याप्त पारावार को हर संकट हर,आँच से बचा लें।
क्या आप जानते हैं कि 5 अप्रैल को ही राष्ट्रीय समुद्र दिवस क्यों मनाया जाता है ? नहीं!
तो आइए, और गर्व कीजिए कि सन 1919 में आज ही के दिन भारत के मुंबई शहर से ब्रिटेन के लिए भारत का पहला समुद्री जहाज रवाना हुआ था। इसी ऐतिहासिक दिवस की मधुर स्मृतियों को पुनः पुनः स्मरण करने के के लिए सन 1964 से हर 5 अप्रैल को *राष्ट्रीय समुद्र दिवस* मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को भारतीय जहाजरानी उद्योग की गतिविधिओं के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था में इसकी अतुलित भूमिका से परिचय करवाना है।
जल परिवहन का महत्त्व कौन नहीं जानता? प्राचीन काल में तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों में आपसी संपर्क का एकमात्र साधन जहाजरानी परिवहन विभाग ही संभालता था। इतिहास गवाह है कि जिस देश की जल सेना और नौकायन सेवा शक्तिशाली होती थी वही विश्व पर शासन करता था। आज के बढ़ते वैश्वीकरण के युग में और पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए जल यातायात को बढ़ावा देने हेतु भारत सरकार निरंतर प्रयास कर रही है।
यह दिवस हमें समुद्रों की सुरक्षा, सुरक्षित शिपिंग व्यवसाय, समुद्र वातावरण की सुरक्षा, और सामुद्रिक संपत्ति व उद्योगों के विकास के बारे में न केवल जागरूक करता है, वरन नौका परिवहन का विश्व समुदाय के बीच एक मजबूत कड़ी स्थापित करने के लिए हमें प्रेरित करता है।
आइए आज 5 अप्रैल 2021 को राष्ट्रीय समुद्री दिवस के शुभ अवसर पर हम यह संकल्प लें कि समुद्रों को हर दूषन- प्रदूषण से मुक्त रखेंगे और नौका परिवहन को उत्तरोत्तर प्रोत्साहित कर पर्यावरण को भी प्रदूषित होने से बचाएंगे।
डॉ. मधु गुप्ता
सह-आचार्य, हिंदी विभागाध्यक्ष।
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