JEEVAN KE AADARSH MOOLY

                             आदर्श                                                       

  विश्व  में प्राचीन समय से लोगो को आदर्श का महत्व स्थापीत   किया जा रहा है                                       ब्रह्माज्ञानी को स्वर्ग तृण है, शूर को जीवन तृण है, जिसने इंद्रियों को वश में किया उसको स्त्री तृण-तुल्य जान पड़ती है, निस्पृह को जगत तृण है                                                        


                                                   सत्यग्रह के बल से ही हिंसा को कम किया जा रहा हे                                                                                आदर्श  जीवन का मूल मंत्र  सदा जीवन उच्च विचार                                                                                                                            
रामकथा’ विश्व  के प्रत्येक  हृदय को छूती है, इसलिए नहीं कि यह एक सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि इसलिए कि इसमें एक आदर्श जीवन के दर्शन मिलते हैं।  विद्यार्थी जीवन के गुरू-शिष्य, पिता-पुत्र, माता-पुत्र, पति-पत्नी, स्वामी-सेवक, राजा-प्रजा अथवा भाई-भाई आदि सभी रिश्तों का महत्व  राम के द्वारा प्राप्त होता हे नियमित आदर्श जीवन-दर्शन हे । राम के लिए माता-पिता के वचन क्या मायने रखते हैं यह उनके द्वारा सारे सुख-वैभव को ठुकराकर वनवास को सवीकार किया  । लक्ष्मण भी बड़े भाई की सेवा का मार्ग चुनते हे यह एक आदर्श प्रस्तुत करते हैं। राम-लक्ष्मण दोनों भाईयों का प्रेम ऐसा है की  उनकी आत्मा एक है। एक शिष्य के रूप में भी राम ने सदैव गुरू के आज्ञा का सम्मान किया है। मित्रता निभाते हुए कभी भी उन्होंने मित्र पर संदेह व संकोच नहीं किया और उन्होंने शत्रु की  भावना नहीं रखी चाहे शत्रु का भाई ही क्यों न हो जैसे राम का भाई विभीषण । राम ने सेना का  संगठित कर स्वावलम्बी बनाते हैं और उनकी आत्म शक्ति को बढ़ावा  देते  हैं    ASHA SWAMI                                         

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