भारत के सामाजिक और राजनीतिक विरासत के अमूल्य रत्न-अंबेडकर*

*भारत के सामाजिक और राजनीतिक विरासत के अमूल्य रत्न-अंबेडकर* 

डॉ. भीमराव अंबेडकर भारत के सामाजिक और राजनीतिक विरासत के ऐसे अमूल्य रत्न हैं, जिन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे स्वतंत्रता के पश्चात भारत के अखिल राजनैतिक और सामाजिक स्पेक्ट्रम में सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सम्मानित व्यक्ति रहे है।
भारतीय राजनीति में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की सबसे स्थायी विरासत संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका है, जो भारतीय संविधान की रूपरेखा तैयार करने के लिए जिम्मेदार थी। भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार के रूप में, डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने सुनिश्चित किया कि दस्तावेज में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत निहित हों।
इसके अलावा बाबासाहेब ने भारतीय रिजर्व बैंक के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। केंद्रीय बैंक का गठन हिल्टन यंग कमीशन को बाबासाहेब द्वारा प्रस्तुत की गई अवधारणा के आधार पर किया गया था।
साहित्य और लेखन: डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर एक विपुल लेखक थे, तथा कानून, अर्थशास्त्र, धर्म और सामाजिक मुद्दों पर उनके कार्य अत्यधिक प्रभावशाली बने हुए हैं। उनकी पुस्तकें, जैसे “अस्पृश्यता का विनाश”, “शूद्र कौन थे?” एवं “बुद्ध और उनका धम्म”, दुनिया भर के पाठकों को के लिए आदर्श प्रस्तुत करती हैं।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जीवन सतत संघर्ष और सफलता का ऐसा मणिकांचन संयोग है, जो आगत और नवागत पीढ़ियों के लिए सदा ही प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। 
डॉ भीमराव ने अपने जीवन में बहुत से कष्ट सहे, लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी शिक्षा से समझौता नहीं किया। वे हर दिन लगभग 18 घंटे अध्ययन किया करते थे। शिक्षा के प्रति उनकी रूचि और कड़ी मेहनत का ही परिणाम था कि बड़ौदा के तत्कालीन महाराज ने उन्हें उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति प्रदान कर, लंदन पढ़ने के लिए भेजा। डॉ. अंबेडकर गौतम बुद्ध, संत कबीर और महात्मा ज्योतिबा फुले को अपना गुरु मानते थे और उनके तीन देवता थे- ज्ञान, स्वाभिमान और शील। बाबासाहेब को पुस्तकें पढ़ने का बहुत ही शौक था। उनकी अपनी एक लाइब्रेरी थी, जो दुनिया की सबसे बड़ी व्यक्तिगत लाइब्रेरी मानी जाती थी। इसमें उस समय लगभग 50,000 से अधिक किताबें थीं। आपको एक ऐसी बात बताती हूँ, जिस पर आप गर्व किए बिना रह ही नहीं पाएंगे-
2004 मेंअमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के 200 वर्ष पूरे होने के होने के उपलक्ष्य में एक महाआयोजन किया, जिसमें उन्होंने अपने विद्यालय में अध्ययन कर चुके शीर्ष 100  बुद्धिमान विद्यार्थियों का चयन कर उन्हें 'Colmbian Ahead Of Their Times'  नामक अवार्ड देने के लिए जो सूची तैयार की, उसमें डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम पहले नंबर पर था। अंबेडकर को 'सबसे अधिक बुद्धिमान विद्यार्थी', यानि 'First Colmbian Ahead Of Their Times'  के रूप में मरणोपरांत सम्मानित किया गया। सन 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। 
14 अप्रैल को उनका जन्म दिवस आम्बेडकर जयंती के तौर पर भारत समेत दुनिया भर में मनाया जाता है।  भारत सरकार द्वारा बाबा साहेब को श्रद्धांजलि देते हुए उनके जीवन से जुड़े पाँच महत्वपूर्ण स्थानों को पंच तीर्थ के रुप मे विकसित किया गया है । इसमें प्रथम मध्यप्रदेश में जन्मभूमि महू, जहाँ बाबा साहेब का जन्म हुआ, उनके जन्म स्थली के रूप में विकसित किया गया है। दूसरा शिक्षा भूमि, लंदन का वह घर जहाँ बाबा साहेब ने रह कर वकालत की शिक्षा ली, तीसरा दीक्षा भूमि, नागपुर जहां बाबा साहब ने 1956 में अपने छह लाख अनुयायियों  के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण किया, चौथी दिल्ली के अलीपुर में महापरिनिर्वाण भूमि, वो घर जहाँ बाबा साहेब ने अंतिम सांस ली ,पांचवां मुम्बई की चैत्य भूमि, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया था।  इन स्थानों को भारत सरकार ने संविधान निर्माता के स्मृति के रूप में विकसित कर पांच तीर्थ की स्थापना की है।
  • डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि को पूरे देश में ‘महापरिनिर्वाण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
ऐसे बिरले व्यक्तित्व के धनी जुझारू बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर आइए, संकल्प लें- 
"घनी अंधियारी रातों में ही,
बिजलियाँ चमकी हैं।
सर के परे निकला जब पानी 
बदलियां बरसी हैं।
यह सुना और देखभाला
अनुभवजन्य सत्य है।
ख़ुद फूटे और धरती चीरी,
तब बीज से फसलें उपजी है।"

डॉ. मधु गुप्ता
सह-आचार्य, हिंदी विभागाध्यक्ष।

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