ब्लॉग-मुझे मेरे बाद भी मुझे ज़िंदा रखेगा।

 



"कौन कहता कि मौत आएगी तो मैं मर जाऊंगी,

दरिया हूँ मैं समन्दर में गहरे तक उतर जाऊंगी।"

क्या आपने कभी सोचा है कि कौन मुझे  मेरे मरने के बाद भी जिंदा रखेगा? आज के संदर्भ में कहूँ, तो ये ब्लॉग की दुनिया मेरी जिंदगी में तो मेरे साथ है ही, मौत के बाद भी मेरा नाम और काम रहेगा ही रहेगा। ब्लॉग लेखन का काम करते हुए, अक्सर मुझे 'नदीम' का यह शेर याद आ जाता है। आज की यह ब्लॉग की दुनिया समंदर ही तो है, जिसमें मेरी जैसी न जाने कितने दरिया आकर समा जाते हैं। आइए, नदियों की कुछ उन धाराओं की बात करें, जो ब्लॉग के इस समंदर के सरताज़ बन गए हैं-

यदि आप ब्लॉग के बारे में जरा सा भी जानते हैं, तो आपने अमित अग्रवाल का नाम तो अवश्य सुना होगा-

अमित अग्रवाल वो पहले भारतीय है, जिन्होने ब्लॉगिंग कि दुनिया में अपना हाथ आज़माया और सफलता की ऊंचाइयों को स्पर्श किया। अमित अग्रवाल तकनीक के महारथी और पर लेखन उनकी अभिरुचि थी उन्होंने दोनों का संगम करा कर उसे एक मंच पर ला खड़ा किया इस प्रकार वे भारत के पहले पेशेवर ब्लॉगर बन गए। इन्होंने सच्चे अर्थों में ब्लॉगिंग को व्यवसाय के रूप में स्थापित करने का महत्वकांक्षी बीड़ा उठाया और स्वप्न को साकार कर दिखाया।। वे बचपन से ही टेक्नोलॉजी के दीवाने तो  थे ही सो स्कूलिंग के  बाद उन्होंने आईआईटी-रुड़की से कंप्यूटर साइंस मैं अपनी बी-टेक की पढ़ाई पूरी कर 5 साल शानदार उच्च प्रोफाइल और हाई पैकेज की नौकरी करने के पश्चात वर्ष 2004 में अपने जन्म भूमि आगरा आकर Labnol (डिजिटल प्रेरणा) नामक एक तकनीकी ब्लॉग लॉन्च किया और आज करोड़ों के प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं।

यूँ तो आज हिंदी और अंग्रेजी ब्लॉग की दुनिया में हजारों लाखों व्यक्ति अपना करियर बना रहे हैं, पर आइए आपको एक ऐसे हिंदी साहित्यकार का परिचय करवाती हूँ, जो आज हिंदी के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगरों में से एक माने जाते हैं-'रविन्द्र प्रभात'।

कविता के साथ-साथ रविन्द्र प्रभात को व्यंग्य और ग़ज़ल लेखन के लिए प्रसिद्धि मिली पर आज उनकी पहचान  ब्लॉग लेखक के रूप में स्थापित हो चुकी है। उन्होंने ही हिन्दी ब्लॉग आलोचना का सूत्रपात किया है। उन्हें हिंदी ब्लॉगिंग जगत में 'न्यू मीडिया विशेषज्ञ' के तौर पर जाना जाता है। अब तक उन्हें ब्लॉगिंग के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है  ‘हिन्दी ब्लॉगिंग का इतिहास’ लिखने वाले वे पहले भारतीय हैं। इनके ही प्रयासों से ब्लॉग साहित्यिक पुरस्कार 'परिकल्पना सम्मान' शुरू किया गया है। साल 2011 में उन्होंने 51 हिंदी ब्लॉगर्स को दिल्ली में 'परिकल्पना सम्मान' से सम्मानित कर ब्लॉगिंग को एक साहित्यिक विधा के रूप में स्थापित कर ब्लॉगर्स को

नई राह दिखाई। यह सम्मान प्रत्येक वर्ष आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन में देश-विदेश से आए जाने-माने ब्लॉगर्स की उपस्थिति में दिया जाता है। इस सम्मान को बहुचर्चित तकनीकी ब्लॉगर 'रवि रतलामी' ने ‘हिन्दी ब्लॉगिंग का ऑस्कर’ कहा है। आज साहित्यिक उत्सवों की तरह ही ‘ब्लॉगोत्सव’ के आयोजन भी शुरू हो गए हैं। इसके अंतर्गत प्रमुख रचनाकार  एक मंच पर एकत्रित होकर नवागंतुक ब्लॉगर रचनाकारों को एक नया सकारात्मक संदेश दे रहे हैं। तो देरी किस बात की, तैयार हो जाइए। आपको भो आपकी स्वर्णिम संभावनाएं पुकार रही हैं।।


डॉ. मधुगुप्ता,

सह-आचार्य, हिंदी

माहेश्वरी गर्ल्स पी.जी. कॉलेज,

सेक्टर-5, प्रताप-नगर, जयपुर

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