*4 अप्रैल-अंतर्राष्ट्रीय खदान जागरूकता दिवस*
"नसों से जिसके लोहा बरसता है
हाथों में उसके कालिमा और
श्वांसों में धुंआता गुबार बसता है
जो खुद धूल फाँक फाँक कर
सोना चाँदी हीरे पन्ने उगलता है
नमन उस कर्मवीर के श्रमदान को
जो खदान के खतरों से खेलता है।"
खानों में काम करने वाले मजदूरों और आस पास रहने वाले लोगों के लिए खनन एक घातक उद्योग है। खनिकों को कठिन परिस्थिति में काम करना पड़ता है। खान के अंदर नैसर्गित रोशनी नहीं मिल पाती है। खानों में हमेशा खान की छत गिरने, पानी भरने और आग लगने का खतरा रहता है। खान के आस पास के इलाकों में धूल की भारी समस्या होती है। खान से निकलने वाली स्लरी से सड़कों और खेतों को नुकसान पहुँचता है। खनिकों को दमा की बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है। अतः 8 दिसंबर 2005 को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने 4 अप्रैल को हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय खदान जागरूकता और खदान कार्य सहायता दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी. यह पहली बार 4 अप्रैल, 2006 को मनाया गया था।
*उद्देश्य* -
1. उन देशों में राष्ट्रीय खदान-कार्य क्षमता स्थापित करना और विकसित करने में सहायता करना, जहाँ खदानों और विस्फोटक युद्ध अवशेष सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करते हैं।
2.इसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा संबंधित संगठनों के साथ मिलकर प्रभावित देशों की हरसंभव सहायता करना।
3.राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य और लोगों के जीवन में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
4. लोगों को लैंडमाइंस की वजह से पैदा हुए खतरे से सुरक्षा प्रदान करना
5.स्वास्थ्य और जीवन से सम्बंधित परेशानियों के बारे में जागरूकता फैलाना।
6.साथ ही राज्य सरकारों को खदान क्लिअरिंग प्रोग्राम विकसित करने के लिए भी प्रोत्साहित करना।
डॉ. मधु गुप्ता
सह-आचार्य, हिंदी विभागाध्यक्ष।
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