आनंद नवसंवत्सर की अनंत शुभकामनाएँ

"झकझोर रही हैं झंझाएँ, 
आंधियों के साथ,
बरस रही हैं मुश्किलें, 
अतिवृष्टि मूसलधार।
नव कीर्ति, नव स्फूर्ति, 
नव दीप्ति ले हाथ।
नव संवत्सर! सब पर,
कृपा करो हे, प्राणाधार।"

।।नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।।

 *नव संवत्सर:* 
प्रत्येक चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रथमा को भारतीय नववर्ष प्रारंभ होता है। सनातन धर्म के मानने वाले इसे नव वर्ष के रूप में मनाते हैं क्योंकि यह वैज्ञानिक दृष्टि के साथ- साथ विश्व की सामाजिक व सांस्कृतिक संरचना को भी प्रस्तुत करता है।  
विक्रम संवत उसी राजा के नाम पर प्रारंभ हुआ, जिसके राज्य में न कोई चोर था, न कोई अपराधी, और न ही कोई भिखारी था। वह चक्रवर्ती सम्राट था, जिसने भयरहित चक्रवर्ती साम्राज्य स्थापित किया, जिसने स्वयं भगवान् विष्णु के सदृश्य "परम भागवत" पद अर्जित किया।
जी हाँ! सम्राट विक्रमादित्य द्वारा ५७ ई. पू. में इसी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन यह अखंड राज्य स्थापित किया था।मान्यता है कि ब्रह्माजी ने इस दिन सम्पूर्ण सृष्टि और लोकों का सृजन किया था। वस्तुतः चैत्र ही एक ऐसा माह है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं और उन्हें वास्तविक मधुरस पर्याप्त मात्रा में मिलता है, अतः वर्ष का प्रथम माह होने का श्रेय चैत्र को ही मिला। इसे गुड़ी पड़वा भी कहते हैं। इसी दिन से नया पंचाग शुरू होता है, और ज्योतिष की गणना के अनुसार देश, राज्य के समस्त विषयों की भविष्यवाणी, लोक व्यवहार, विवाह, अन्य संस्कारों और धार्मिक अनुष्ठानों की तिथियां निर्धारित की जाती हैं। 

1.युगाब्द संवत्सर का प्रथम दिन : 5112 वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
2.राम का राज्याभिषेक दिवस : प्रभु राम ने इसी दिन को लंका विजय के बाद अयोध्या में राज्याभिषेक के लिए चुना। 
3.नवरात्र स्थापना : शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात्, नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है। 
4. प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन यही दिवस है।
5.गुरू अंगददेव प्रगटोत्सव: सिख परंपरा के द्वितीय गुरू का जन्म दिवस।
6. आर्य समाज स्थापना दिवस: समाज को श्रेष्ठ (आर्य) मार्ग पर ले जाने हेतु स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन को आर्य समाज स्थापना दिवस के रूप में चुना।
7. संत झूलेलाल जन्म दिवस : सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रकट हुए ।
आइए, अखिल ब्रह्मांड के जन्मदाता, उस परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करें कि यह नव संवत्सर 'आनंद' यथा नाम तथा गुणा सकल सृष्टि के दृष्टिपथ में  आनंद की वृष्टि करेगा।  

*आनंद नवसंवत्सर की अनंत शुभकामनाएँ ।*

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