।।गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर।।

।।सुविचार।।
"मिटटी के बंधन से मुक्ति पेड़ के लिए आज़ादी नहीं है।"
"पंखुडियां तोड़ कर आप फूल की खूबसूरती नहीं इकठ्ठा करते।"
"सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप नदी नहीं पार कर सकते।"
"अकेले फूल को कई काँटों से ईर्ष्या करने की ज़रुरत नहीं होती।"
     ।।गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर।।

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